Home Tribals Culture News क्या मणिपुर के कुकी आदिवासियों जैसा हाल होगा…झारखंड के आदिवासियों का?

क्या मणिपुर के कुकी आदिवासियों जैसा हाल होगा…झारखंड के आदिवासियों का?

by Johar TV
0 comment
क्या मणिपुर के कुकी आदिवासियों जैसे हाल होगा,
झारखंड के आदिवासियों का,
बड़ा सवाल ?
संदर्भ: झारखंड के रांची हाई कोर्ट ने भी मणिपुर के इंफाल हाई कोर्ट के तर्ज पर गैर जनजाति कुर्मियों की जनजाति बनने की मांग पर सुनवाई के लिए तैयार।
जाने सुनने के लिए लॉगिन करें।
जोहर टीवी भारतवर्ष।
प्रकृति और विकृति का द्वंद।
पार्ट (01) मणिपुर कुकी जनजाति समुदाय मणिपुर के 30% आबादी व पहाड़ों के 70% भूभाग पर स्वामित्व वाले व मेतैई गैर जनजाति समाज मणिपुर के 53% आबादी व मुख्यतः इंफाल घाटी के 10% भूभाग पर स्वामित्व वाले,आदिकाल से एक भौगोलिक क्षेत्र तराई व पहाड़ों में परस्पर भाईचारे से निवास करते आ रहे हैं।
पार्ट (02) कुकी जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341(01) निमयत: मणिपुर क्रमिक विभाग द्वारा राज्य जनजाति अनुसंधान केंद्र/ राष्ट्रीय जनजाति अनुसंधान केंद्र, नई दिल्ली, जनजातीय मंत्रालय भारत, सरकार।
लोकुर कोमटी 1965 द्वारा अनुसूचित जनजातियों के पहचान के लिए सुझाए/परामर्श पांच मापदंडों पर अनुसंधान कर भारत के रजिस्टार जनरल को भेजी गई रिपोर्ट को भारतीय संसद से प्रस्ताव पारित कर महामहिम राष्ट्रपति भारत के सम्मुख पेश की गई थी। जिसे महामहिम राष्ट्रपति ने मणिपुर राज्य के राज्यपाल( जनजातियों के संवैधानिक अभिभावक कस्टोडियन) से परामर्श कर लोक अधिसूचना जारी कर अनुसूचित जनजाति के रूप में निर्दिष्ट किया गया है।
पार्ट(03) मेतैई गैर जनजाति, हिंदू वर्ण व्यवस्था के अधीन आने वाली आर्थिक सामाजिक उन्नत जाति पहाड़ों के जमीनों का स्वामित्व लेने व आरक्षण का लाभ लेने हेतु 2012 से अनुसूचित जनजातियों का दर्जा देने का राजनीतिक सामाजिक दबाव डालकर मांग करता आ रहा है। अनुसूचित जनजाति मांग समिति मणिपुर बीते 10 सालों से राज्य सरकारों से इस संबंध में मांग लगातार रख रहा था परंतु किसी भी सरकार ने इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया। आखिरकार मेतैई जनजातीय मांग समिति ने मणिपुर हाई कोर्ट का रुख किया।
पार्ट (04) 20 अप्रैल 2023।
10 वर्षों से अधिक लंबी सुनवाई के बाद जनजातीय मंत्रालय भारत सरकार के 10 जुलाई 2010 के पत्र जिसमें मणिपुर सरकार से सामाजिक और आर्थिक सर्वे के साथ जातीय रिपोर्ट पेश के लिए कहा था का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह 10 साल पुराने सिफारिश को लागू करें जिसमें गैर जनजाति मेतैई जाति को भारतीय संविधान की अनुच्छेद 341(01),लोकुर कमिटी के नियम व मापदंडों को नजरअंदाज व विधायिका शक्तियों पर हस्तक्षेप करते हुए जनजाति में शामिल करने की बात कही।
हाई कोर्ट आदेश के बाद हिंसा बढ़ गई।
पार्ट (05) न्यायालयो का अधिकार है कि वे, जाति समुदायों का निर्धारण करें।
यह अधिकार तो विधायिका सांसद के अधीन है।
न्यायालयों को केवल कानून की समीक्षा करने का अधिकार है।
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने भी इस विषय में संज्ञान लेते हुए कहा कि यह अधिकार कोर्ट का नहीं है।

You may also like

Leave a Comment

Subscribe My Newsletter For new Blog posts, tips & new Photos. Lets Stay updated.


At Johar TV, our mission is to be the voice of the tribal communities and bring their stories to the forefront. We are more than just a news outlet; we are dedicated to fostering positive change, empowerment, and the overall well-being of tribal people across the globe.

Edtior's Picks

Latest Articles

Copyright @ JoharTv 2024 All Right Reserved.

Designed and Developed by Brightcode