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क्या ??? संविधान बचाने के लिए गोलबंद है, संथाल परगना के
जान समझने के लिए देखते रहे…
सिद्धू कान्हू ,तिलका मांझी ,फूलों झानो ,चंद भैरव की हुल धरती, संथाल परगना। 1855 -56 संथाल हूल के बाद तत्कालीन ब्रिटिश हुकुमरानो ने तत्कालीन बीरभूम और भागलपुर जिलो के कुछ भागे…
तथ्य(01) : संथाल परगना के जातीय एवं सामाजिक समीकरण:
तथ्य 03- देश की आम चुनाव 2024 में 2019 की तरह ना तो मोदी लहर है, ना ही राष्ट्रवाद। क्षेत्र में कोई मुद्दा है तो वह संविधान वाद।
तथ्य 05- आदिवासी धार्मिक,सामाजिक, परंपरागत स्वशासी व्यवस्था, युवा संगठनो का इंडिया गठबंधन को समर्थन:
जमीनी निष्कर्ष व रुझान:
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क्या ??? संविधान बचाने के लिए गोलबंद है, संथाल परगना के
संथाल आदिवासी।
जान समझने के लिए देखते रहे…
जोहर टीवी भारतवर्ष!
प्राकृतिक और विकृति का द्वंद!
सिद्धू कान्हू ,तिलका मांझी ,फूलों झानो ,चंद भैरव की हुल धरती, संथाल परगना। 1855 -56 संथाल हूल के बाद तत्कालीन ब्रिटिश हुकुमरानो ने तत्कालीन बीरभूम और भागलपुर जिलो के कुछ भागे…
राजमहल के पहाड़ी वाले इलाके,साहिबगंज ,पाकुड़ ,
गोड्डा व दुमका ,देवघर आज के जामताड़ा को मिलाकर संथाल परगना जिला का निर्माण किया था,व इस क्षेत्र को वर्ष 1876 में
मांझी परगना देश माझी व्यवस्था के तहत अनुसूची जिला के रूप में घोषित किया था।आजादी के बाद बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने भारतीय संविधान अनुच्छेद 244 (1) के तहत इसी यथावत रखा।
माराङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा के झारखंड आंदोलन के अंतिम पड़ाव में 1970 की दशक में संथालो के बीच महाजनी प्रथा के विरुद्ध लड़ाई लड़ते हुए दिशोम गुरूशिबू सोरेन का जननायक के रूप में उदय हुआ।
1973 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन हुआ, जिसका मुख्य उद्देश्य तत्कालीन बिहार ,बंगाल ,उड़ीसा के आदिवासी बहुल क्षेत्रों को मिलकर झारखंड अलग राज्य बनाना था। शिबू सोरेन पहली बार 1970 में दुमका लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और हार गए फिर 1980, 1989, 1991, 1996 ,2004 ,2014 लगातार दुमका के सांसद थे। संथाल परगाना झारखंड मुक्ति मोर्चा के कर्म भूमि रही।
संथाल परगना में तीन लोकसभा क्षेत्र है, दुमका एवं राजमहल अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है,गोड्डा लोकसभा क्षेत्र अनारक्षित है। 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम का आकलन करें तो मोदी लहर से ये वंचित नहीं रही और राजमहल छोड़कर गोड्डा एवं दुमका में भारतीय जनता पार्टी विजय रहा,सबसे बड़ा उलट थे दुमका लोकसभा रही, जहां अपनी परंपरागत सीट पर लगभग 40,000 मतो से भाजपा के सुनील सोरेन से शिबू सोरेन पराजित हुए ।
बड़ा प्रश्न- देश के आम चुनाव 2024 में किसके पक्ष में है संथाल आदिवासी ??? क्या है चुनावी समीकरण ।
आईए जानते हैं व समझते हैं….
देश के अन्य आदिवासी क्षेत्र के भांति वीर बंटा सिद्धू कान्हू की हूल धरती, संथाल परगना जो भारतीय संविधान 244(01) के तहत अनुसूचित क्षेत्र के प्रावधानों के तहत आता है व संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम 1949 व अन्य विशेष क्षेत्रीय कानून से संरक्षित है। आगामी 01 जून 2024 को भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान करेंगे या संथाल परगना के तीनों के तीनों सीटों पर इंडिया गठबंधन को विजय बनाएंगे ।
आई करते हैं तथ्य पर विश्लेषण –
तथ्य(01) : संथाल परगना के जातीय एवं सामाजिक समीकरण:
मीडिया रिपोर्टो, 2011 की पूर्व की जातीय जनगणना के अनुसार आदिवासी की आबादी इस इलाके में लगभग 40% और मुस्लिम आबादी 20% है।
तथ्य 02- 2019 की लोकसभा में राजमहल लोकसभा क्षेत्र में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विजय कुमार हसदा लगभग 2 लाख मतों से विजई हुए थे, वही गोड्डा लोकसभा में भाजपा के निशिकांत दुबे भी लगभग 184000 मतों से विजय हुए थे, वही दुमका लोकसभा में भाजपा के सुनील सोरेन ने संथालों के दिशोम गुरु शिबू सोरेन को लगभग 47,000 मतों से पराजित कर राजनीतिक पंडितों को चौक दिया था।
तथ्य 03- देश की आम चुनाव 2024 में 2019 की तरह ना तो मोदी लहर है, ना ही राष्ट्रवाद। क्षेत्र में कोई मुद्दा है तो वह संविधान वाद।
इसीलिए दलित,आदिवासी, अल्पसंख्यक संविधान बचाने हेतु एकजुट है।आम जनता सीधे भाजपा के विरूध चुनाव लड़ रही है।
दुमका एवं राजमहल संथाल आदिवासी बहुल आरक्षित सिटें स्पष्ट इंडिया गठबंधन के पक्ष में जाते हुए दिख रही है।
तथ्य-04: राहुल गांधी के सरना धर्म कोड देने के ऐलान व अपने घोषणा पत्र में माझी परगना देश माझी जिला स्वशासी प्रशासन लागू करने, पी-पेसा कानून 1996 के तहत ग्राम सभा को अधिकार देने, ट्राइबल सब प्लान (TSP) के पैसों का उचित ढंग से अनुपालन करने, जनजाति अत्याचार अधिनियम 1989 को और अधिक सशक्त कर अनुपालन करने,आदिवासी विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हेतु देश-विदेश में पढ़ाई हेतु और अधिक छात्रवृत्ति देने,गरीब परिवार के एक महिला को प्रतिमा 8500 रुपए व वार्षिक 01 लाख रुपए तथा 05 किलो के बदले 10 किलो अनाज देने, स्नातक बेरोजगारों को प्रथम रोजगार व ट्रेनिंग देते हुए प्रतिवर्ष 01 लाख देने के घोषणाओं के कारण इन तीनों लोक सभा क्षेत्र में जमीनी स्तर पर इंडिया गठबंधन के पक्ष में माहौल दिख रहा है।वहीं तीसरी सीट गोड्डा दिलचस्प लड़ाई के मोड पर खड़ी है,मोदी के ईडी द्वारा हेमंत सोरेन को जेल भेजे जाने के कारण गोड्डा के 35% आदिवासी मतदाताओं के सहानुभूति व यादव, मुस्लिम, आदिवासी मतदाताओं के इंडिया गठबंधन के पक्ष में झुकाव व गोलबंद होने के कारण भाजपा की निश्चित जीत वाली सीट फांसी हुई दिख रही है।
तथ्य 05- आदिवासी धार्मिक,सामाजिक, परंपरागत स्वशासी व्यवस्था, युवा संगठनो का इंडिया गठबंधन को समर्थन:
संथाल माझी परगना के मुख्य धार्मिक संगठन “संथाल परगना सरना धर्म महासभा” परंपरागत स्वशासी व्यवस्था के प्रमुख संगठन “माझी परगना देश माझी वैसी” आदिवासी युवाओं का मुख्य संगठन “जय आदिवासी युवा शक्ति” जायस द्वारा इन लोकसभा क्षेत्र में इंडिया गठबंधन के पक्ष में खुलकर मैदान में आने से तीनों लोकसभा क्षेत्र के माहौल इंडिया गठबंधन के पक्ष में जाता दिख रहा है।
जमीनी निष्कर्ष व रुझान:
मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा व दिशोम गुरु शिबू सोरेन के झारखंड आंदोलन के बाद से ही प्राय या देखा जाता है कि संथाल परगना के संथाल आदिवासी पहले झारखंड पार्टी फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा के पक्ष में मतदान करते आ रहे हैं, केवल कुछ अपवादो को छोड़ दे तो, अपनी इस परंपरागत क्षेत्रो में झारखंड मुक्ति मोर्चा जितती आ रही है।
इस बार देश में चल रही सत्ता विरोधी परिस्थिति व संविधान/आरक्षण व अपने पूर्वजों के खून से मिले अधिकारों की रक्षा हेतु पूरा संथाल परगना सजग व गोलबंद दिख रही है, इन परिस्थितियों में अगर इंडिया गठबंधन तीनों की तीनों लोक सभा क्षेत्र दुमका,राजमहल,गोड्डा अपने पक्ष में कर ले तो, आश्चर्य नहीं होगा।
“जोहर टीवी भारतवर्ष” के के लिए समाचार संकलन व लेखक: संजय पाहन।
और मैं मंगला…
आप सबो को जोहार….
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