Home Sarna Religious Movements News 2024 दिल्ली की सत्ता का यूपी बिहार नहीं?कर्णधार होंगे सरना आदीवासी।

2024 दिल्ली की सत्ता का यूपी बिहार नहीं?कर्णधार होंगे सरना आदीवासी।

by Johar TV
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जाने देश के कौन-कौन से लोकसभा क्षेत्र में सरना मतदाता तय करते हैं प्रत्याशियों की जीत हार ।
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जोहार टीवी भारतवर्ष।
प्राकृतिक और विकृति का द्वंद।

(01) कोकराझार लोक सभा क्षेत्र,असम।
(02) अलीपुरद्वार लोकसभा क्षेत्र,पश्चिम बंगाल।
(03) जलपाईगुड़ी लोकसभा क्षेत्र ,पश्चिम बंगाल।
(04) दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र ,पश्चिम
बंगाल।
(05) मालदा, लोक सभा क्षेत्र ,पश्चिम बंगाल।
(06) आसनसोल, लोक सभा क्षेत्र ,पश्चिम बंगाल।
(07) दुमका, लोक सभा क्षेत्र, झारखंड।
(08) राजमहल, लोकसभा क्षेत्र, झारखंड।
(09) धनबाद, लोकसभा क्षेत्र ,झारखंड।
(10) गोड्डा, लोकसभा क्षेत्र ,झारखंड।
(11) रांची, लोकसभा क्षेत्र ,झारखंड।
(12) खूंटी, लोकसभा क्षेत्र, झारखंड।
(13) सिंहभूम,चाईबासा लोकसभा क्षेत्र, झारखंड।
(14) लोहरदगा, लोक सभा क्षेत्र, झारखंड।
(15) पलामू, लोकसभा क्षेत्र,झारखंड।
(16) जमशेदपुर, लोक सभा क्षेत्र, झारखंड।
(17)चतरा, लोक सभा क्षेत्र, झारखंड।
(18) सुंदरगढ़, लोकसभा क्षेत्र, उड़ीसा।
(19) मयूरभंज, लोकसभा क्षेत्र,उड़ीसा।
(20)जसपुर, लोकसभा क्षेत्र, छत्तीसगढ़।
(21) सरगुजा, लोकसभा क्षेत्र, छत्तीसगढ़।

राजनीतिक पार्टियों को क्यों जरूरत है आदिवासियों का समर्थन व आशीर्वाद।

तथ्य(01)2011 की जनगणना में पूरे भारत देश में 50 लाख की संख्या में आदिवासियों ने जनगणना प्रपत्र में अपना धर्म सरना लिखवाया था ।
तथ्य(02)राज़ी पड़ाहा सरना प्रार्थना सभा,भारत व अन्य अनुवांशिक सरना संगठनो द्वारा विगत 13/14 वर्षों में निरंतर प्रचार-प्रसार, सभा- गोष्टी, सरना प्रार्थना सभा का आयोजन कर गैर सरकारी आकलन डेटाबेस के अनुसार आज की स्थिति में सरना धर्मलंबियों की जनसंख्या देश में लगभग 02(दो) करोड़ है। वर्ष 2021 समय पर जनगणना होती तो,यह संख्या जनगणना प्रपत्र में अधिकृत रूप से सूचीबद्ध हो जाता।
तथ्य(03) देश के विभिन्न प्रांतो के प्राय सभी आदिवासियों समुदायों परस्पर जन्म,छठी,विवाह, मृत्यु कर्मकांड रूढ़िवादी प्राकृतिकवादी धार्मिक विधि से ही करते हैं।जनगणना पपत्र के मुख्य धर्म कॉलम में सरना धर्म लिखने हेतु स्थान रहे, तो देश के 10 करोड़ आदिवासी प्राकृतिकवादी सरना धर्म कोई अपने धर्म के रूप में सूचीबद्ध करेंगे।

तथ्य(04)उल्लिखित लोकसभा क्षेत्र,जिलों, राज्य के अलावे देश के अन्य प्रदेशों मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल व नॉर्थ ईस्ट के कूल 47 की संख्या में आदिवासियों के आरक्षित लोकसभा क्षेत्र के अलावे लगभग 100 लोकसभा क्षेत्र जिलों बड़ी संख्या में आदिकाल से निवास करते आ रहे हैं।

राजनीतिक पार्टियों को देश की सत्ता में काबिज होने लिए आदिवासी समाज का समर्थन आवश्यक ही नहीं, राजनीतिक मजबूरी भी है।

यह दावा,तथ्य पर आधारित है।
भारत सरकार के आंकड़े प्रमाणित भी करते हैं।
विचारणीय प्रश्न: तो फिर आदिवासी समाज आज तक अपने संवैधानिक हक अधिकारो से वंचित क्यों है ?
मंथन करें और उचित निर्णय ले।
देखते रहे जोहर टीवी भारतवर्ष।
“प्राकृतिक और विकृति का द्वंद “
जोहार।

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