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24 वर्षों का वयस्क”झारखंड”! झारखंडियों के सपने कितने हुए पूरे….

by Johar TV
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24 वर्षों का वयस्क”झारखंड”! झारखंडियों के सपने कितने हुए पूरे….

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जोहर टीवी भारतवर्ष
प्राकृतिक और प्रकृति का द्वंद।

झारखंड(झुरखंड) झूड का मतलब जंगल-झाड़ी और खंड का अर्थ है एक हिस्सा व भूभाग। झुरखंड से ही झारखंड शब्द बना है, अर्थात झारखंड बना है। 90 के दशक तक अप्रैल/मई के महीना में रांची एवं अधिकांश झारखंड के जिलों में बारिश हुआ करती थी और अधिकतम तापमान 30 से 35 डिग्री ही रहा करती थी। समय पर वर्षा व कृषि कार्य हुआ करती थी और झारखंड के लोग खुशियली से जीवन व्यतीत करते थे। आज केवल कुछ ही इलाके बचे हैं, जहां अप्रैल/मई के महीना में बारिश हुआ करती है और तापमान सामान्य रहती है। जैसे नेतरहाट के आसपास के इलाके।
झारखंडी जीवन दर्शन आदिवासी मूलवासी संस्कृति पर आधारित है। जिसमें जल जंगल जमीन की प्रधानता है।
लगभग 50 वर्षों के लंबे अलग राज्य आंदोलन के बाद 15 नवंबर सन 2000, मे धरती आबा बिरसा मुंडा के जयंती पर झारखंड राज्य की स्थापना हुई।झारखंड वासीयो में खुशी की लहर दौड़ गई,आशा की नई अलख जागी, उज्जवल भविष्य की मनोकामना के साथ अबुआ दिशुम,अबुआ राज की सपने पूरा होते हुए दिखाई दी।
सभी असवस्थ होते दिखे की झारखंडी सभ्यता-संस्कृति,भाषा,
मर्यादा,जल-जंगल-जमीन,पूर्वजों की रूढ़ि-प्रथा व धरोहर को बचाए रखने के लिए संघर्ष खत्म हुई।
सन 2000 में श्री बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में झारखंड की पहली सरकार बनी,आदिवासियों को लगा वे ठगे गए। उन्हें आशा थी कि दिशोम गुरु झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में आदिवासी मूलवासी मानसिकता वाली सरकार बनेगी फिर निरंतर 15 वर्षों तक झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता रही, दिशोम गुरु शिबू सोरेन तीन माह के लिए मुख्यमंत्री बने, वही एक निर्दलीय मधु कोडा भी मुख्यमंत्री बने, अर्जुन मुंडा और हेमंत सोरेन भी कुछ वर्षों के लिए मुख्यमंत्री बने। इन वर्षों में झारखंड कई राजनीतिक उलट फेरों का गवाह बना, राज्य का राजनीतिक दोहन व शोषण हुआ।
फिर 2014 में देश में नरेंद्र दामोदर दास मोदी की केंद्र में सरकार आई, मोदी के लहर में झारखंड की जनता ने भारतीय जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत दिया और गैर आदिवासी रघुवर दास मुख्यमंत्री बने। गैर आदिवासी रघुवर दास मुख्यमंत्री बनते ही आदिवासियों पर तांडव करना शुरू कर दी, पत्थलगड़ी के हजारों आदिवासी आंदोलनकारी पर देशद्रोह का मुकदमा दायर कर दिया, पूरे राज्य के आदिवासी छात्रावासों पर पुलिस भेज कर छापेमारी करना शुरू कर दी, गिरफ्तारीया हुई। आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों से छेड़छाड़ करते हुए मोदी के कॉर्पोरेट मित्रों के लिए आदिवासियों की भूमि संबंधित रक्षा कानून को छेड़छाड़ करते हुए लैंड बैंक बनाते हुए स्थानीय जमीन संबंधित कानून सीएनट- एसपीटी में बदलाव का प्रयास करते हुए ,आदिवासियो की जमीन अधिकरण कर उद्योग लगाने हेतु प्रयास होने लगे। इसी क्रम में देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी के कॉर्पोरेट मित्र अदानी द्वारा झारखंड के गोड्डा जिले के पोराईयाहट प्रखंड के रैयतो की जमीन अधिकरण कर पावर प्लांट लगाकर बिजली उत्पादन कर बांग्लादेश को बेचा जा रहा है,नियम अनुसार उत्पादक का 25% बिजली झारखंड देना है, परंतु झारखंड वीसीयो को एक यूनिट भी बिजली नसीब नहीं हो रही है। इसी प्रकार दुमका जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड में ब्राह्मणी नॉर्थ कॉल ब्लॉक, ईसीएल के राजमहल, धनबाद के मूगमा,चित्रा एसपी प्रोजेक्ट,देवघर जैसे परियोजना हेतु जमीन अधिकरण नियमों को तक में रखकर किया गया, इतना ही नहीं भारतीय जनता पार्टी द्वारा संचालित केंद्र सरकार के खनन विभाग द्वारा झारखंड में खनन उत्खनन हेतु 20 और कॉर्पोरेट घरानों से एमओयू किए गए हैं, जिसके लिए भूमि अधिकरण चुनाव के बाद शुरू हो जाएगी।
रघुवर दास के 05 वर्षों के दमनकारी शासन के बाद आनेको जन आंदोलन के उपरांत 2019 में झारखंडियों ने हेमंत सोरेन की नेतृत्व में यूपीए को बहुमत वाली जनादेश दिया।
आशा थी झारखंड में 19 वर्षों के बाद सुख-समृद्धि, खुशियली आएगी, पलायन भुखमरी, कुपोषण ,बेरोजगारी दूर होगी झारखंड से भ्रष्टाचार मिटेगा, हर हाथ को काम होगा और अबुआ दिशुम अबुआ राज आएगी।
परंतु झारखंड की दुर्भाग्य है कि हेमांत शासनकाल में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा इतना अधिक बढ़ गई थी, कि ग्राम पंचायत कार्यालय से लेकर प्रखंडो,जिला मुख्यालयो,राज्य सचिवालयों के नौकरशाहो को पिंटू,पांडे,भट्टाचार्य जैसे सत्ता के चाटुकारों/ बहरियों के आशीर्वाद व छत्रछाया से पूरे झारखंड में लूट खसोट वाली शासन व्यवस्था चलने लगी। आदिवासी मूलवासी हास्य पर आ गए। प्रधानमंत्री मोदी कि ईडी ने ने हेमंत सोरेन को जेल भेजा, चंपई सोरेन मुख्यमंत्री बने। जेल जाने के कारण हेमंत सोरेन के प्रति थोड़ी सी सहानुभूति झारखंड वासीयो में आई है, परंतु उनमें जननायक की छवि झारखंड वासी देख नहीं पाए जो झारखंड की काया-पलट कर सके,दोहन शोषण रोक सके व झारखंड में आदिवासी सरकार दे पाए।

18वीं लोकसभा का चुनाव देश में चल रहा है, केंद्र की सत्ता पाने हेतु राजनीतिक दलों द्वारा नए-नए सपने दिखाए जा रहे हैं। इसी वर्ष नवंबर दिसंबर 2024 में झारखंड में फिर से प्रदेश के सरकार चुन्ने हेतु चुनाव होंगे। क्या वर्तमान राजनीतिक दल झारखंडियों के विगत 24 वर्षों के “सोना झारखंड” के सपने व जिसमें उनके अबुआ दिशुम अबुआ राज की परिकल्पना को पूरा करते हुए संवैधानिक,राजनीतिक, धार्मिक,सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषाई, आर्थिक, शैक्षणिक स्वस्थ के अधिकार देते हुए पलायन कुपोषण, व्याप्त भ्रष्टाचार को मिटाते हुए स्वच्छ सरकार दे पाएंगे।

विचारणीय प्रशन: कैसे बनेगी झारखंड में स्वच्छ आदिवासी सरकार व सोना झारखंड के आदिवासी-मूलवासीयों के सपने कब होंगे पूरे! क्या झारखंड में नई राजनीतिक विचारधारा की आवश्यकता है ???

“जोहर टीवी भारतवर्ष”
प्रकृति और विकृति का द्वंद के लिए समाचार संकलन व लेखक:
संजय पाहन।

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