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देश के नागरिक होने के “मौलिक कर्तव्य” का कितना निर्वहन करते हैं!
देश के प्रधानमंत्री से पहले सर्वप्रथम भारत देश के आम नागरिक है।
(01) संविधान का पालन करते हुए राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना।
यें है, हम भारतीयों की “मौलिक कर्तव्य” (जिम्मेदारी) भारत देश के प्रति…
दशकों से निवेदन है कि हमारे
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देश के नागरिक होने के “मौलिक कर्तव्य” का कितना निर्वहन करते हैं!
आदरणीय मोदी जी, उनके दल के राजनेता व संघ के पदाधिकारी।
भारतीय संविधान व उसके “मौलिक कर्तव्य” का क्या मायने है।
प्रधानमंत्री मोदी के जिंदगी कि इस पहलू पर..
“जोहर टीवी भारतवर्ष”
प्राकृतिक और विकृति का द्वंद।
का तथ्यों पर आधारित विश्लेषण…
देश के प्रधानमंत्री से पहले सर्वप्रथम भारत देश के आम नागरिक है।
श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी।
अतः देश के आम नागरिकों की तरह “मौलिक कर्तव्य” का निर्वहन करना उनका पहला संवैधानिक मौलिक कर्तव्य है।
वर्ष 1976 में भारतीय संविधान के 42वे संशोधन अधिनियम द्वारा भाग 04 अनुच्छेद 51(A) नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को सरदार स्वर्ण सिंह समिति के सिफारिश पर जोड़े गए थे।
ताकि देश के प्रति नागरिकों की जिम्मेवारी तय की जा सके।
“मौलिक कर्तव्य’ का देश के नागरिक होने के नाते कितनी कर्तव्य निष्ठा व ईमानदारी से देश के प्रधानमंत्री मोदी जी,उनके दल के राजनेता व संघ के पदाधिकारी करते हैं, निर्वहन….
तथ्यों पर आधारित हम करते हैं… मूल्यांकन और जानते हैं जमीनी सच्चाई।
सर्वप्रथम हम जानते हैं नागरिकों की 11 “मौलिक कर्तव्य”(जिम्मेवारी) देश के प्रति क्या है!
(01) संविधान का पालन करते हुए राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना।
(02) स्वतंत्रता संग्राम के जननायको उनके सिद्धांतों का सम्मान व पालन करना।
(03) भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करना।
(04) जब आह्वान किया जाए, देश की रक्षा और राष्ट्रीय कर्तव्यो का पालन ततवर्ता से करना।
(05) देशवासियों से परस्पर भाईचारे की भावना का निर्वहन करना।
(06) देश के मिश्रित संस्कृति को जीवित व सम्मान करना।
(07) प्राकृतिक व पर्यावरण का संरक्षण करना।
(08) वैज्ञानिक सोच व मानवता का विकास करना।
(09) सार्वजनिक सम्पत्तियों की रक्षा करना और हिंसा से बचना।
(10) जीवन के सभी क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करना।
(11) सभी माता-पिता अभिभावकों का कर्तव्य है कि वे अपने 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को स्कूल अवश्य भेजना।
यें है, हम भारतीयों की “मौलिक कर्तव्य” (जिम्मेदारी) भारत देश के प्रति…
अब जाने आदरणीय मोदी जी व उनके पार्टी के राजनेताओं व संघ के पदाधिकारी द्वारा इन “मौलिक कर्तव्य” का निर्वहन कितनी ईमानदारी से की जा रही है व की गई है।
(01)राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ ने देश की आजादी के 52 सालों तक अपने मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वज को नहीं फहराया अर्थात स्थान नहीं दिया।इसे राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का अपमान क्यों नहीं माना जाए।
(02) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसे स्वतंत्रता संग्राम के जननायको के विचारों व सिद्धांतों को आज के राजनेताओं व उनके तथाकथित राष्ट्रभक्त संगठनों द्वारा झूठी व विभिन्न भ्रामक तथ्यों के साथ पेश कर इनका चरित्रहरण किया जाता है।इसे स्वतंत्रता संग्राम के जननायको व उनके सिद्धांतों का अपमान क्यों नहीं माना जाए।
(03) आज नॉर्थ ईस्ट के राज्य मणिपुर,लद्दाख की स्थिति व चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश की विभिन्न इलाकों में नए गांव बसाना, भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा जैसे मोदी जी के दायित्व के निर्वहन के मौलिक कर्तव्यों का हनन क्यों नहीं माना जाए।
(04) देश के नौजवान जो देश की रक्षा व राष्ट्रीय कर्तव्य के लिए अपनी जिंदगी व जान देने के लिए तत्पर है,उन्हें क्रांतिवीर जैसे योजना के माध्यम से 04 साल की फौज की आधी अधूरी ट्रेनिंग देकर देश की सरहदो में भेजने की मोदी जी की नीति के कारण देश के नवजवानों का राष्ट्रीय कर्तव्य का पालन जैसे मौलिक कर्तव्य का हनन हो रहा है,क्यों नहीं माना जाए।
(05) परस्पर भाईचारे की भावना का निर्वहन करना।
इस पर आम नागरिको, राजनेताओं से क्या आशा करेंगे जब देश के प्रधानमंत्री मोदी जी सरेआम सार्वजनिक मंचों से मंगलसूत्र,ज्यादा बच्चा पैदा करने वाले, मुसलमानो को घुसपैठियों, कपड़ों से पहचानते हैं, बोलकर स्वय हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत का बीज बो रहे हैं को मोदी जी द्वारा मौलिक कर्तव्यों का हनन क्यों नहीं माना जाए।
(06) देश के मिश्रित संस्कृति को जीवित व सम्मान करना।
2024 में यह तर्कसंगत है क्या ??
भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपने “मोदी के गारंटी” 2024 चुनावी घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता(यूसीसी) लागू करेगी घोषणा कर मिश्रित संस्कृति के विचारधारा अब देश में तर्कसंगत नहीं रहा। इसे मोदी जी द्वारा छट्टी मौलिक कर्तव्य का हनन क्यों नहीं माना जाए।
(07) प्राकृतिक व पर्यावरण की रक्षा करेंगे।
वर्तमान केंद्र की मोदी सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के हसदेव में अदानी की कंपनी के द्वारा कोयला उत्पादन हेतु 10 लाख पेड़ों की कटाई की जा रही है।
लद्दाख, झारखंड, उड़ीसा छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक जंगलों,पहाड़ों के प्राकृतिक संसाधनो के दोहन शोषण हेतु उद्योगपतियों को दिया जा रहा है। इसे मोदी जी द्वारा सातवें मौलिक कर्तव्यो का हनान क्यों नहीं माना जाए।
(08) वैज्ञानिक सोच व मानवता का विकास करेंगे.. जिस देश में मोर अपने आंसू से बच्चा पैदा करती है, प्लास्टिक सर्जरी से हाथी को गणेश भगवान बनाई गई है, गाय की मूत्र से बहुत सारी बीमारियां यहां तक कैंसर दूर हो जाती है, बादलों मे रडार काम नहीं करती है जैसे भ्रमितिया वाले विचार हमारे प्रधानमंत्री व उनके दलों के राजनेताओं द्वारा आए दिन दिए जाते हैं। इसे मोदी जी व उनके दल के पदाधिकारी द्वारा आठवीं मौलिक कर्तव्यों का हनन क्यों नहीं माना जाए।
(09) सार्वजनिक संपत्तियों के रक्षा करेंगे और हिंसा से बचेंगे।
वर्तमान मोदी जी की सरकार देश की सार्वजनिक संपत्तिया मुख्यतः सार्वजनिक क्षेत्र के कंपनियों (उपक्रमों) में निहित रहती है जैसे भारतीय रेल,इंडियन एयरलाइन,LIC जैसे 28 से अधिक सार्वजनिक क्षेत्र के कंपनी (उपक्रमों) के हिस्सेदारी बढ़ाने बचाने के मूल अवधारणाओं के विपरीत बड़े पैमाने पर बेच रही है। इसे सार्वजनिक संपत्तियों की रक्षा कैसी होगी। इसे मोदी जी द्वारा नवी मौलिक कर्तव्यो का हनन क्यों नहीं माना जाए।
(10)जीवन के सभी क्षेत्र में उत्कृष्ट के लिए प्रयास करेंगे।
आम नागरिक इन मौलिक कर्तव्यों का निर्वहन तभी कर पाएगी जब सरकारी स्तर पर सहयोग हो, सरकार देश में महंगाई, बेरोजगारी, कुपोषण, पलायन, विस्थापन, सौहार्दपूर्ण पूर्ण वातावरण, आपसी भाईचारे का माहौल देश में उत्पन्न करें तभी नागरिक अपने मौलिक कर्तव्यों का निर्वाहन अच्छे से कर पाएगी। देश की आज की स्थिति में किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट के लिए प्रयास करने का अवसर आम नागरिकों के लिए उपलब्ध ही नहीं है। ना किसान ठीक से खेती कर पा रहे हैं, ना वैज्ञानिक शोध कर पा रहे हैं, ना बेरोजगारों को नौकरी मिल पा रही है, ना खिलाड़ियों को खेल के अवसर मिल रहे हैं। क्या इन परिस्थितियों में देश की आम जनता मौलिक कर्तव्यों का निर्वाहन कर पाएगी। क्यों ना इसे भी मोदी जी द्वारा दसवें मौलिक कर्तव्य का हनन माना जाए।
(11) यूपीए सरकार द्वारा 2005 में शिक्षा का अधिकार की कानून बना कर 14 वर्षों तक की आयु के बच्चों को मौलिक अधिकार देते हुए इसे कानून बना दी गई थी। नागरिकों का मौलिक कर्तव्य है, कि अपने बच्चों को शिक्षा अवश्य दें। समाचार पोर्टल न्यूज़ क्लिक के अनुसार नरेंद्र मोदी सरकार के “शिक्षा तक पहुंच” के सुधार के वादे की विपरीत हकीकत यह है कि”2018-19 और 2021-22 के बीच भारत में स्कूलों की कुल संख्या में
61885 स्कूल कम हो गई है।जो 15,51 000 से घटकर 14,89,114 हो गई है। इसे भी मोदी जी द्वारा शिक्षा के यानी 11वीं मौलिक कर्तव्यो हनन क्यों न माना जाए।
अब प्रश्न उठता है कि क्या देश के प्रधानमंत्री आदरणीय मोदी जी, उनके दल के राजनेता व संघ के पदाधिकारी देश के नागरिको के “मौलिक कर्तव्यों” का निर्वहन देश हित में सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से कर पाए हैं या नही ??? हमारे तथ्यो से आधारित मूल्यांकन पर विचार करते हुए अपने स्वविवेक से करें। सच्चाई आपके सामने है।
अत: जोहर टीवी भारतवर्ष की आपसे निवेदन है कि भारत के संविधान के इन 11 मौलिक कर्तव्य यानी देश के प्रति आपकी जिम्मेवारी का निर्वहन जरूर करें व देश के सजग नागरिक होने की नाते इन जिम्मेवारी का निर्वहन करते हुए सोचे, बिचारे,मंथन करें और देश हित, सामाज हित में निर्णय ले,लोकतंत्र की रक्षा व इसे सशक्त करने के लिए, जरूर से जरूर मतदान करें और अपने प्रजातांत्रिक कर्तव्यों का निर्वहन जरूर करें।
दशकों से निवेदन है कि हमारे
आदिवासियों से संबंधित शोधपूर्ण संवैधानिक,धार्मिक,आर्थिक,
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जोहार…
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