Home GENERAL ELECTION 2024 मोदी के शपथ ग्रहण लेते ही विस्थापित हो जाएंगे लाखों आदिवासी???

मोदी के शपथ ग्रहण लेते ही विस्थापित हो जाएंगे लाखों आदिवासी???

by Johar TV
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झारखंड,उड़ीसा,पश्चिम बंगाल, बिहार,महाराष्ट्र के आदिवासी पूर्व की भांति…
मोदी सरकार बनते ही, बड़ी संख्या में फिर से विस्थापित का दंभ झेलने वाले हैं।

जमीनी शोध समाचार, समाज हित में जानने व समझने के लिए देखते रहे..
जोहर टीवी भारतवर्ष !
प्राकृतिक और प्रकृति का द्वंद!

ज्ञात हो की आजादी के विगत 77 वर्षों में देश में लगभग 02 करोड़ आदिवासी पूर्व में विस्थापित हो चुके हैं।
जोहर टीवी भारतवर्ष की मांग है कि केंद्र की सरकारे के विरुद्ध भारतीय संसद में श्वेत पत्र लाकर “इतिहास” यानी पूर्व में कुरर्ता पूर्ण जमीन अधिकरण कर आदिवासियों को विस्थापित करने हेतु माफी मांगे।
देश के विस्थापितों के आंकड़े का अनुपात में विश्लेषण करें तो, देश के 02 विस्थापितो में से 01 आदिवासी है।

04 जून 2024 को केंद्र में मोदी सरकार बनते हैं फिर से विस्थापित होंगे हजारों-लाखों आदिवासी!

दैनिक हिंदुस्तान के अनुसार इन राज्यों के आदिवासी इलाकों में 39 कॉल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया वर्ष 2023 के नवंबर माह में ही शुरू हो चुकी है, 39 में से 16 नई खदानें हैं।
मोदी सरकार के खनन मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा है कि कॉल ब्लॉकों की नीलामी का उद्देश्य 2025-26 तक कोयला आयात को पूरी तरह रोकना है। भारत सरकार कोयला मंत्रालय का लक्ष्य है कि 2030 तक भूमिगत कोयला का उत्पादन देश में 100 मिलियन टन ले जाना है।

आईए जानते हैं, इस खबर की जमिनी सच्चाई…
सर्वप्रथम हम जानते हैं ,अपने झारखंड राज्य के “दूमका” जिले में आवंटित काॅल ब्लाकों वाले इलाकों की जमिनी स्थिति परिस्थिति!

दुमका जिले के शिकारीपाड़ा और काठीकुंड प्रखंडों में आवंटित पूर्व के काॅल ब्लाकों के जमीन अधिकरणों के विरुद्ध विरोध-प्रदर्शन वर्ष 2021-22 से ही ग्रामीणों द्वारा शुरू कर दिया गया है।
इन प्रखंडों में “शहरपुर” “जमडूपानी” बेस व अन्य तीन कॉल ब्लॉक “चिचरो”,
“ब्राह्मणी” और “पोटोसिमल” गांव/ इलाकों में प्रस्तावित है।
खनन मंत्रालय भारत सरकार ने इसके लिए तीन कंपनियों के साथ एमओयू (MOU) किया है। जिसमें शहरपुर जमडुपानी बेस 15 वर्ग किलोमीटर के तहत कोयला उत्खनन एवं विद्युत उत्पादन
के लिए “उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड” को आवंटन किया गया है।
जबकि ब्राह्मणी,चिचरो,पोटोसिमल बेस 17.03 वर्ग किलोमीटर में कोयला खनन के लिए “हरियाणा पावर जेनरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड” के साथ एमओयू ((MOU) किया गया है।
जमीन अधिकरण हेतु दुमका प्रशासन के पदाधिकारी द्वारा इन क्षेत्रों के गांवो के माझी-हङमो(Village Headman)/ ग्राम प्रधानों को कॉल ब्लॉकों के बारे में विस्तार से जानकारी देकर उन्हें अपने-अपने गांव में जाकर कंपनियों को नीलामी में आवंटित क्षेत्र को देने के लिए गांव वालों के बीच जबरन सहमति करने के लिए कहा गया था, व परस्पर वार्ता व बैठक कर जमीन देने हेतु लगातार दबाव दिया जा रहा है। ताकि कंपनी के अधिकारी जमीन अधिकरण हेतु प्रक्रिया आगे बढ़ा सके।
लेकिन इन इलाकों के ग्रामीण इन कंपनियों के पक्ष में जमीन अधिकरण के विरोध में 21 गांव के ग्राम प्रधानों के अगवाई में ग्रामीण महिला व पुरुषो के द्वारा परंपरागत वेशभूषा और हथियारो से लेस होकर शिकारीपाड़ा में प्रस्तावित कॉल ब्लॉक को संचालित करने की सरकारी प्रक्रिया का जोरदार ढंग से वर्ष 2021 से ही विरोध करना शुरू कर दिया था। ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए जान देंगे, जमीन नहीं देंगे, जल जंगल जमीन हमारा है,हमारा गांव- हमारा अधिकार, ना विधानसभा,ना लोकसभा, सबसे ऊपर ग्राम सभा का नारा बुलंद करते हुए कॉल ब्लॉक हेतु जमीन आवंटन का जोरदार विरोध किए हैं व निरंतर कर रहे हैं।
वर्ष 2021-22 में ही इन प्रभावित क्षेत्रो के 21 गांव के ग्राम प्रधान और ग्रामीणों ने
पी- पेसा कानून 1996 के तहत परंपरागत ग्राम सभा की बैठक कर कोयला टेस्टिंग-बोरिंग को बंद करने की प्रस्ताव पारित की गई थी, साथी ही बैठक में अहम निर्णय लेते हुए कंपनी के चिन्हित 06 ठेकेदारों के अधिकृत बोरिंग करने वाली व्यक्तियो (01)घासीपुर गांव के शशि मुर्मू (02) जोड़ाआम गांव के लालमोहन राय(03)बरमसिया गांव के कालिदास(04)आसानबनी गांव के चरण मुर्मू(05)धनिया पहाड़ी के जय नारायण राय और (06)बाघासोला गांव के रंजीत मंडल को बोरिंग-टेस्टिंग बंद करने के साथ तमाम मशीन को टेस्टिंग-बोरिंग स्थल से ले जाने के हिदायत देते हुए, किए गए गड्ढे को भी बंद करने/भरने के आदेश पारित कर करवाई की गई थी। बाद में इस मामले को संज्ञान में लेते हुए दुमका जिला प्रशासन ने जोड़ाआम गांव जाकर स्थल निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन और वन विभाग को दी थी और इस विषय पर काफी प्रशासनिक उथल-पुथल हुआ था ।
इन क्षेत्रों के “माझीपरगना देश माझी परंपरागत रूढ़िवादी व्यवस्था” से संचालित माझी हडमो/ग्रामप्रधानो व ग्रामीण परंपरागत ग्राम सभा कर परस्पर इसका विरोध कर रहे हैं,व कॉल ब्लॉक हेतु जमीन नहीं देने का संकल्प कर चुके हैं।
क्या 04 जुलाई के बाद मोदी सरकार बनते ही देश के अन्य आवंटित कॉल ब्लॉकों की तरह इनकी भी जमीन लूट ली जाएगी…. बड़ा प्रश्न ???
आप दर्शन गन भी इंतजार कीजिए! आगे क्या होता है,मोदी सरकार आती है,या नहीं! आदिवासियों की जमीन लूटी जाएगी या फिर सिद्धू कान्हू के लहू से बने माझी हडमो/ग्राम प्रधान की ग्राम सभा की कानूनी अधिकारों की जीत होगी या नही ??
यह आने वाली वक्त ही बताइएगी।

जोहर टीवी भारत के लिए समाचार संकलन व लेखक: संजय पाहन
और मैं मंगला….
आप सभी को जोहार।

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